हलिया थाने में मनमानी और भ्रष्टाचार का बोलबाला — जनता का सवाल, आखिर कब मिलेगी न्यायपूर्ण कार्रवाई?
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                                 - खबरें हटके
 - Updated: 3 November, 2025 23:26
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                                                            फर्जी एफआईआर, रिश्वतखोरी और लीपापोती से मचा हड़कंप; जांच अधिकारी श्याम लाल और थानाध्यक्ष की कार्यशैली पर उठे गंभीर सवाल — क्या पुलिस अधीक्षक करेंगे निष्पक्ष जांच या यूं ही चलता रहेगा भ्रष्टाचार का खेल?
ब्यूरो रिपोर्ट
मिर्जापुर/हलिया।- मिर्जापुर जनपद के हलिया थाने की कार्यशैली एक बार फिर कठघरे में है। आरोपों की झड़ी ऐसी लगी है कि पुलिस प्रशासन की साख हिल गई है। जनता अब खुलकर सवाल पूछ रही है — “क्या कानून का पहरेदार ही कानून तोड़ने का सबसे बड़ा उदाहरण बन चुका है?”
हलिया थाना क्षेत्र में फर्जी एफआईआर दर्ज करने, निर्दोष लोगों को फंसाने, रिश्वत लेकर धाराएं तय करने और जांच में लीपापोती करने के गंभीर आरोप सामने आए हैं। बताया जा रहा है कि कुछ मामलों में पुलिस ने पूरी तरह से पक्षपातपूर्ण रवैया अपनाया, जिससे पीड़ित पक्ष को न्याय की उम्मीद टूटती जा रही है।
जांच अधिकारी श्याम लाल पर उठे सवाल
सूत्रों के अनुसार, कई मामलों में जांच अधिकारी श्याम लाल पर लीपापोती और धनउगाही के आरोप हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि जांच अधिकारी ने बिना तथ्यात्मक जांच के एफआईआर दर्ज कर दी, वहीं जिन मामलों में शिकायतकर्ता न्याय मांग रहे थे, उन्हें धमकाकर चुप करा दिया गया।
एक पीड़ित ने बताया कि जब उसने निष्पक्ष जांच की मांग की तो पुलिस ने उस पर ही झूठे आरोप लगाकर उल्टा मुकदमा दर्ज कर दिया। यह रवैया जनता के लिए न केवल चौंकाने वाला है बल्कि कानून पर गहरी चोट जैसा महसूस हो रहा है।
“रिश्वत के हिसाब से चल रहा थाना” — जनता का आरोप
हलिया क्षेत्र के कई ग्रामवासियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने खुलकर कहा कि थाना अब कानून नहीं, बल्कि “रिश्वत के हिसाब” से चलता है। शिकायत है कि जब तक जेब गर्म न हो, तब तक न तो एफआईआर दर्ज होती है और न ही कार्रवाई की जाती है।
लोगों का कहना है कि यह भ्रष्टाचार थाने के भीतर गहराई तक पैठ चुका है और आम जनता का विश्वास अब पूरी तरह से डगमगा गया है।
थानाध्यक्ष राजीव कुमार श्रीवास्तव की लापरवाही पर जनता भड़की
स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि थानाध्यक्ष राजीव कुमार श्रीवास्तव की कार्यप्रणाली बेहद निराशाजनक है। आरोप है कि श्रीवास्तव न केवल जनता की शिकायतों को अनसुना करते हैं, बल्कि उनसे रूखे और अपमानजनक व्यवहार के लिए भी कुख्यात हैं।
थाने के खिलाफ जनता,का आक्रोश एवं चेतावनी
ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि अगर हलिया थाने में चल रहे भ्रष्टाचार और फर्जी मामलों की निष्पक्ष जांच कर कार्रवाई नहीं की गई, तो वे सामूहिक रूप से आंदोलन का रास्ता अपनाएंगे। कई सामाजिक संगठनों ने भी प्रशासन से इस मामले में तत्काल संज्ञान लेने की मांग की है।
सामाजिक कार्यकर्ता राजेश पटेल ने कहा, “हम अब चुप नहीं रहेंगे। जनता के साथ अन्याय हो रहा है। पुलिस भ्रष्टाचार के दलदल में फंस चुकी है। अगर उच्च अधिकारी कार्रवाई नहीं करते तो जनता सड़कों पर उतरेगी।”
प्रशासन की चुप्पी और जनता का अविश्वास
सबसे बड़ा सवाल यह है कि जब यह सब स्थानीय स्तर पर चर्चा का विषय बन चुका है, तो अभी तक पुलिस अधीक्षक मिर्जापुर ने कोई ठोस कदम क्यों नहीं उठाया?
क्या हलिया थाने में तैनात अधिकारी इतने प्रभावशाली हैं कि उन पर कार्रवाई करना भी प्रशासन को कठिन लग रहा है?
जनता की नाराजगी अब अविश्वास में बदलती जा रही है। लोग कह रहे हैं कि अगर ऐसे ही भ्रष्टाचार चलता रहा, तो पुलिस और जनता के बीच की दूरी और बढ़ेगी।
जनता की मांग — निष्पक्ष जांच और सख्त कार्रवाई
स्थानीय निवासियों ने मांग की है कि पूरे प्रकरण की उच्चस्तरीय जांच कराई जाए और जिन अधिकारियों पर भ्रष्टाचार के आरोप हैं, उन्हें तुरंत निलंबित कर निष्पक्ष जांच की जाए।
साथ ही, जिन निर्दोष लोगों को फर्जी एफआईआर में फंसाया गया है, उन्हें न्याय और मुआवजा दिया जाए।
अब देखना यह है कि मिर्जापुर के पुलिस अधीक्षक इस गंभीर मामले का संज्ञान लेते हैं या फिर यह भी एक और फाइल बनकर आलमारी में दब जाएगी।
जनता का सवाल अब स्पष्ट है —
“क्या भ्रष्टाचार पर लगेगा शिकंजा, या फिर अपराधी वर्दी के पीछे ही बचते रहेंगे?”
                                                        
                                                                
                                                                
                                                                
            
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