आखिर क्यों उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने अचानक पद से इस्तीफा दिया
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- Updated: 21 July, 2025 22:27
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PPN NEWS
नई दिल्ली
रिपोर्ट, सुरेंद्र शुक्ला
बीते कल ही रविवार को धनखड़ साहब ने कहा था कि उन्हें उम्मीद है संसद का मॉनसून सत्र काफी उपयोगी साबित होगा और सभी सांसदों का उन्हें सहयोग मिलेगा। ऐसे में धनखड़े के अचानक इस्तीफा देने पर कई तरह की चर्चाओं शुरू हो गई हैं।
स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का हवाला देते हुए उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने अचानक पद से इस्तीफा दिया।
संसद के मॉनसून सत्र के पहले दिन की कार्यवाही के बाद सोमवार देर शाम जगदीप धनखड़ ने उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने अपने इस्तीफे की वजह स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं बताई हैं।
उन्होंने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को अपना इस्तीफा भेज दिया है। उन्होंने कहा कि वह तत्काल प्रभाव से पद छोड़ रहे हैं। धनखड़ (74) ने अगस्त 2022 में उपराष्ट्रपति का पदभार संभाला था।
ऐसे में धनखड़े के मॉनसून सत्र के पहले ही दिन अचानक इस्तीफा देने पर कई तरह की चर्चाओं शुरू हो गई हैं।
जगदीप धनखड़ ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर इस्तीफा पत्र पोस्ट करते हुए कहा, "आदरणीय राष्ट्रपति जी, स्वास्थ्य सेवा को प्राथमिकता देने और चिकित्सीय सलाह का पालन करने के लिए मैं संविधान के अनुच्छेद 67(ए) के अनुसार तत्काल प्रभाव से भारत के उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा देता हूं। मैं भारत की राष्ट्रपति के प्रति उनके अटूट समर्थन और मेरे कार्यकाल के दौरान हमारे बीच बने सुखद एवं अद्भुत कार्य संबंधों के लिए अपनी हार्दिक कृतज्ञता व्यक्त करता हूं।"
उन्होंने आगे कहा कि मैं प्रधानमंत्री और सम्मानित मंत्रिपरिषद के प्रति अपनी गहरी कृतज्ञता व्यक्त करता हूं। प्रधानमंत्री का सहयोग और समर्थन अमूल्य रहा है, और मैंने अपने कार्यकाल के दौरान बहुत कुछ सीखा है। संसद के सभी सदस्यों से मुझे जो गर्मजोशी, विश्वास और स्नेह मिला है, वह हमेशा मेरी स्मृति में रहेगा। मैं हमारे महान लोकतंत्र में उपराष्ट्रपति के रूप में प्राप्त अमूल्य अनुभवों और अंतर्दृष्टि के लिए तहे दिल से आभारी हूं।
जगदीप धनखड़ ने आगे कहा कि इस महत्वपूर्ण अवधि के दौरान भारत की उल्लेखनीय आर्थिक प्रगति एवं अभूतपूर्व विकास को देखना और उसमें भाग लेना मेरे लिए सौभाग्य एवं संतुष्टि की बात रही है। हमारे राष्ट्र के इतिहास के इस परिवर्तनकारी युग में सेवा करना मेरे लिए एक सच्चा सम्मान रहा है। इस प्रतिष्ठित पद से विदा लेते हुए मैं भारत के वैश्विक उत्थान और अभूतपूर्व उपलब्धियों पर गर्व महसूस कर रहा हूं और इसके उज्ज्वल भविष्य में अटूट विश्वास रखता हूं।
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