जीवों पर दया करना वैष्णवों का परम कर्तव्य-- स्वामी विद्या भास्कर जी
 
                                                            प्रतापगढ
19.04.2022
रिपोर्ट--मो.हसनैन हाशमी
जीवो पर दया करना वैष्णवों का परम कर्तव्य है:-- स्वामी विद्या भास्कर जी
प्रतापगढ़। सर्वोदय सद्भावना संस्थान द्वारा आयोजित संत निवास परसनन पांडे का पुरवा देवली में परम पूज्य श्री श्री 1008 स्वामी श्री इंदिरा रमणाचार्य पीठाधीश्वर श्री जीयर स्वामी मठ जगन्नाथपुरी की अध्यक्षता में एक संत समागम संपन्न हुआ।जिसमें मुख्य अतिथि के रुप में श्री संप्रदाय के महान विद्वान संत श्री श्री 1008 स्वामी श्री विद्या भास्कर महराज कौशलेश सदन अयोध्या ने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति को अपने आचार्यों एवं श्री वैष्णव भागवत दोनों का कैंकर्य समान भाव से करना चाहिए। रामानुज स्वामी भगवान ने कहा है कि पूर्वाचार्यों के ग्रंथों में विश्वास करके ही आचरण करना चाहिए। भागवत विशेष शास्त्रों में ही सदा रुचि रखनी चाहिए। भगवान नाम संकीर्तन के समान प्रीत महा भागवतों के नाम संकीर्तन में भी करनी चाहिए। भागवतों को आदर पूर्वक संबोधित करना चाहिए। सोने से पहले और प्रातः काल जागकर गुरु परंपरा का अनुसंधान करते हुए जनमानस की सेवा में विश्वास रखना चाहिए। भगवान के दिव्य मंदिरों एवं विमानों को देखते ही हाथ जोड़ करके प्रणाम करना चाहिए। ज्ञानी एवं सदाचारी श्री वैष्णवों का श्रीपाद्द तीर्थ प्रेम पूर्वक लेना चाहिए।श्री वैष्णव के सामने अपनी स्वयं प्रशंसा न करें ।श्री वैष्णव की सानिध्य में किसी का तिरस्कार नहीं करना चाहिए। देहाभिमानी जनों का संग नहीं करना चाहिए। शंख चक्र अंकित होने पर भी किसी का अपमान न करें । इस प्रकार से भगवान श्री रामानुज स्वामी के दिए हुए 72 उपदेशों का पालन करते हुए समस्त जीवों जो भगवान श्री नारायण की कृपा से इस संसार में आते हैं जीवो पर दया करना एवं प्रकृति को संरक्षण देना सदा वैष्णो का परम कर्तव्य है।कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे परम पूज्य श्री श्री 1008 स्वामी श्री इंदिरारमणाचार्य ने कहा कि भगवान भगवान श्रीमन नारायण जो अनंत करुणा वरुणालय हैं वैकुंठ में निवास करते हैं और शेष जी उनके नित्य सेवा में रहते हैं। वहीं शेष जी ने लक्ष्मण जी के रूप में तथा द्वापर में बलराम एवं कलयुग में रामानुज स्वामी के रूप में जीवो के कल्याण के लिए अवतार लिया। रामानुजाचार्य जी ने भगवान श्री कृष्ण के गीता में दिए हुए उपदेश को अपने जीवन में उतार कर दिखाया। गीता हमारे वैष्णवों के लिए प्राण के समान है। गीता में दिया हुआ एक एक श्लोक जीवो के कल्याण के लिए भगवान श्री कृष्ण के श्रीमुख से निकला हुआ वाक्य है। रामानुज स्वामी भगवान ने सदा जाति पातिं को तोड़ते हुए भगवान की भक्ति के लिए लोगों को प्रेरित किया। वैष्णव चाहे निम्न कुल का हो और चाहे उच्च कुल का यदि वैष्णव है तो वह पूजनीय है।उक्त अवसर पर कार्यक्रम के आयोजक धर्माचार्य ओम प्रकाश पांडे अनिरुद्ध रामानुज दास ने संतों के चरणों को धोकर अंगवस्त्रम प्रदान करके उनका पाद्द तीर्थ प्राप्त किया और लोगों को प्रेरित किया। कार्यक्रम में मुख्य रूप से पंडित राम लला त्रिपाठी रामप्रपन्नाचार्य रामानुज दास मुख्य पुजारी नैमिष नाथ भगवान नैमिषारण्य आचार्य केशव दास आचार्य विवेक कुमार गर्ग चंद्रशेखर दत्त पाण्डेय रामानुज दास यशोमती रामानुज दासी उर्मिला रामानुज दासी नारायणी रामानुज दासी शशिधर प्रकाश पांडे विष्णु प्रकाश पांडे एडवोकेट सुरेश पांडे लक्ष्मी नारायण ओझा निर्मला दुबे समदरिया उपेंद्र पांडे प्रणव कुमार पांडे पंडित केशव प्रसाद मिश्र शिवसागर मिश्रा बिदूं पांडे नीलम पांडे सहित भारी संख्या में अनेक भक्त गण उपस्थित रहे।
 
                                                                    
 
                                                         
                                                                 
                                                                 
                                                                 
                                                                 
            
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