सर्वव्यापकता को सिद्ध करने के लिए नृसिंह बनाए गये परमात्मा--आचार्य सुभाषचन्द्र त्रिपाठी
 
                                                            प्रतापगढ
27.04.2022
रिपोर्ट--मो.हसनैन हाशमी
सर्वव्यापकता को सिद्ध करने के लिए नृसिंह बन गए परमात्मा--आचार्य सुभाष चंद्र त्रिपाठी
प्रतापगढ़। प्रतापगढ जनपद के ब्लॉक सांगीपुर स्थित ग्राम सभा रांकी (पूरे लम्मरदार) में सेवानिवृत्त शिक्षक लालजी सिंह मुख्य यजमान के निवास पर चल रहे श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ महोत्सव के पंचम दिवस पर कथा को विस्तार देते हुए श्रीधाम अयोध्या के परमपूज्य गुरुदेव पंडित शिवेश्वर पति त्रिपाठी के परमशिष्य कृपापात्र लब्धप्रतिष्ठित कथाव्यास आचार्य पंडित सुभाषचंद्र त्रिपाठी जी महाराज ने श्रीमद्भागवत के विविध प्रसंगों का वर्णन करते हुए बताया कि कलियुग में परमात्मा ने राम,कृष्ण,वामन, बाराह आदि विविध अवतार लिया है। उन्हीं अवतारों में नृसिंह अवतार का अनोखा इतिहास है। अपनी तपस्या के बल पर हिरण्याकश्यप ने वरदान प्राप्त कर लिया था कि मैं न तो धरती और आकाश में मरूं,न दिन में न रात में मरूं, न अस्त्र से अथवा शस्त्र से यहां तक कि न घर के अंदर अथवा बाहर मरूं आदि आदि। उसने अपने पुत्र परमात्मा के भक्त प्रहलाद को माल डालने का विविध उपाय किया लेकिन"जाको राखै साइयां मारि सके न कोयको चरितार्थ करते हुए परमात्मा को अपने भक्त प्रहलाद को बचाने के लिए नृसिंह अवतार लेना पड़ा, जिनके माध्यम से गोधूलि बेला में चौखट पर हिरण्याकश्यप को नाखून से फाड़कर परमगति प्रदान किया था। इस प्रकार अपनी सर्वव्यापकता को सिद्ध करने हेतु परमात्मा को पुरुषसिंह नृसिंह का अवतार लेना पड़ा।श्रोताओं को आकर्षित करते हुए आर्गन पर विवेक त्रिपाठी, तबला पर नीरज पांडेय, एवं पैड पर दुर्गेश मिश्र संगीतकारों की भजन प्रस्तुतियां एवं संगीत लहरी से कथा में विशेष रोचकता दिखाई पड़ी।इसके पूर्व यज्ञशाला में विराजमान समस्त देवी देवताओं का मुख्य यजमान लालजीत सिंह एवं उनकी धर्मपत्नी द्वारा यज्ञाचार्यो पंडित आमोद पांडेय, पंडित पुरुषोत्तम मिश्र, पंडित अभिषेक मिश्र द्वारा विधि विधान से पूजन कराया गया।कथा श्रवण करने वालों में शिक्षाविद पंडित भवानी शंकर उपाध्याय, शिक्षक मनोविश्राम मिश्र, उप प्रधानाचार्य महावीर सिंह, कैप्टन बद्री प्रसाद उपाध्याय,ठेकेदार गजराज सिंह, आत्म प्रकाश उपाध्याय, रामकुमार सिंह, प्रेमचंद्र मिश्रआदि प्रमुख रहे।कथा को सुव्यवस्थित एवं संचालित करने में मुख्य यजमान लालजीत सिंह के भाई सेवानिवृत्त कैप्टन रणजीत सिंह, राहुल सिंह, इंजीनियर रोहित सिंह, रोमी सिंह, अंकित सिंह एवं अर्पित सिंह आदि परिवारीजनों का उल्लेखनीय योगदान है।
 
                                                                    
 
                                                         
                                                                 
                                                                 
                                                                 
                                                                 
            
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