मऊ एएनएम सेंटर पर अधीक्षक डॉ राधाकृष्णन क्यों नहीं हो रहे कामयाब? क्या है मजबूरी? कौन पड़ रहा है डीएम के आदेश पर भारी?

मऊ एएनएम सेंटर पर अधीक्षक डॉ राधाकृष्णन क्यों नहीं हो रहे कामयाब? क्या है मजबूरी? कौन पड़ रहा है डीएम के आदेश पर भारी?
महराजगंज/रायबरेली: ग्रामीण क्षेत्रों में बने एएनएम सेंटर पर कोविड-19 महामारी के मद्देनजर आमजनमानस को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने के शासन की मंशा को सुनिश्चित कराने के मामले में महराजगंज उच्च प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के अधीक्षक ही पता नहीं किस दबाव में शासन की मंशा को पलीता लगा रहे हैं। जबकि जिला अधिकारी और मुख्य चिकित्सा अधिकारी के आदेश इस बारे में विगत 2/10/2020 को निर्गत किए जा चुके हैं। बार-बार अनुस्मारक भी उच्चाधिकारियों द्वारा अधीक्षक महोदय को भेजे जा रहे हैं, फिर भी महराजगंज उच्चीकृत प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के अंतर्गत मऊ गर्बी एएनएम सेंटर पर अभी तक किसी भी एएनएम की नियुक्ति नहीं की गई है। यहां के लोग संक्रमण से बचाव व अन्य टीकाकरण आदि स्वास्थ्य सेवाओं के लिए 10 किलोमीटर दूर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र महराजगंज आने को मजबूर हैं। इस बारे में आम जनता में अधीक्षक की कार्यशैली को लेकर काफी गुस्सा है। पत्रकारों द्वारा इस मामले में सवाल उठाए जाने पर अधीक्षक सीधा कोई जवाब ना दे कर दाएं बाएं बगले झांकने लगते हैं। अब क्षेत्र के लोगों ने इस मामले को जिलाधिकारी और मुख्य चिकित्सा अधिकारी के स्तर पर ले जाने का फैसला किया है।
आपको बता दें कि, कोविड-19 महामारी के संक्रमण के रोकथाम एवं प्रभावी नियंत्रण के लिए स्वास्थ्य समिति रायबरेली की बैठक जो दिनांक 24/06/2019 को जिलाधिकारी की अध्यक्षता में संपन्न हुई थी। उसमें तय किया गया था कि, रायबरेली के सभी सामुदायिक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों के अंतर्गत विभिन्न केंद्रों/उपकेंद्रों पर एक से अधिक कार्यरत स्वास्थ्य कार्यकर्ता/संविदा कर्मचारियों को रिक्त उपकेंद्र पर स्थानांतरण कर टीकाकरण एवं अन्य महत्वपूर्ण राष्ट्रीय कार्यक्रमों के संचालन तथा जनमानस को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने के उद्देश्य से संबंधित एएनएम से स्थानांतरण हेतु प्राप्त तीन विकल्पों के आधार पर उप केंद्रों पर तैनात अतिरिक्त स्वास्थ्य कार्यकर्ता का स्थानांतरण हेतु रिक्त उपकेंद्र पर तत्काल प्रभाव से आदेश किया जा सकेगा।
इस लिस्ट में जनपद के 26 एएनएम को विभिन्न एएनएम सेंटरों पर तैनात किए जाने की सूची जारी कर सभी अधीक्षको और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों के प्रभारियों को सूची भेज कर नए दायित्वों का पालन कराने के लिए निर्देशित किया गया था। जिसमें महराजगंज, चंदापुर, मुरैनी, हरदोई, मऊ गर्बी भी शामिल थे। किंतु आदेश को जारी हुए 3 महीने होने को है। महराजगंज के अधीक्षक आज तक मऊ गर्बी सेंटर पर किसी भी कर्मचारी की तैनाती नहीं करा सके हैं। जबकि इसके लिए मुख्य चिकित्सा अधीक्षक द्वारा उन्हें कई बार रिमाइंडर भी भेजे जा चुके हैं।
खास बात यह है कि, शेष अन्य 3 उप केंद्रों पर तैनात किए गए कर्मचारी अपनी ड्यूटी ज्वाइन कर कार्य सरकार को बखूबी अंजाम दे रहे हैं। अब सवाल यह उठता है कि, मऊ उपकेंद्र पर अधीक्षक इतने मेहरबान क्यों नहीं हैं। यहां जिस कर्मचारी को नियुक्त किया गया है। आखिर उसके प्रति अधीक्षक डॉ राधाकृष्णन की मेहरबानी क्यों है? चर्चा में तो यह भी आया है कि, यहां पर तैनात किए गए जिस कर्मचारी को ज्वाइन करना है, वह यहां ना आकर मुख्यालय पर ही रहना चाहता है। इसके लिए बाकायदा डॉ राधाकृष्णन को विभिन्न प्रकार से ब्लैकमेल भी किया जा रहा है। एक ओर जहां जिलाधिकारी और सीएमओ का आदेश है, तो दूसरी ओर ब्लैकमेलरों का दबदबा, अधीक्षक पर कायम है। हालत यह है कि, एक ओर कुआं, तो दूसरी ओर खाई? अब अधीक्षक को तय करना है कि, वह कुएं में गिरेंगे, या खाई में, यह उनके लिए एक चुनौती भरा काम है।
हालांकि हमारे संवाददाता ने जब अधीक्षक डॉ राधाकृष्णन से उनका पक्ष जानना चाहा, तो उन्होंने कैमरे के सामने आने से ही इंकार कर दिया। उनका कहना है कि, वह मामले में अपना पक्ष लिखित रूप से जिलाधिकारी महोदय और मुख्य चिकित्सा अधिकारी महोदय को भेज चुके हैं। उच्चाधिकारियों का जो भी आदेश निर्देश होगा, उनका अनुपालन कराएंगे। वह मीडिया से इन गोपनीय बातों को शेयर नहीं करना चाहते। यह भी चर्चा है कि, पिछले 1 हफ्ते से अधीक्षक के विरुद्ध दुष्प्रचार फैलाने के पीछे भी इसी मामले को जोड़कर देखा जा रहा है।
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