खेत छोड़कर सड़क प्रदर्शन करने के लिए क्यूँ मजबूर है किसान...ग्राउंड रिपोर्ट

खेत छोड़कर सड़क प्रदर्शन करने के लिए क्यूँ मजबूर है किसान...ग्राउंड रिपोर्ट

prakash prabhaw news


खेत छोड़कर सड़क प्रदर्शन करने के लिए क्यूँ मजबूर है किसान...ग्राउंड रिपोर्ट


पंजाब, हरियाणा समेत कई राज्यों के किसानों ने केंद्र सरकार के नए कृषि कानून के विरोध में को दिल्ली में प्रदर्शन आ रहे है। लेकिन सरकार इन्हे रोकने के लिए आमदा है इसलिए पंजाब-हरियाणा बॉर्डर पर पुलिस और किसानों के बीच संघर्ष भी हुआ। दिल्ली से सटे यूपी बॉर्डर पर पुलिस ने सख्ती दिखाई और सुरक्षा व्यकवस्था  सख्त  रखी।

इस बीच, भारतीय किसान यूनियन (राकेश टिकैत ग्रुप) ने पंजाब और हरियाणा के किसानों के साथ देते हुए यूपी की तरफ से दिल्ली जाने वाले सभी राष्ट्री य राजमार्गों को जाम करने का ऐलान किया है। इस अन्दोलन और संघर्ष के बीच ग्राउंड जीरो पर जा कर किसानो से मिल कर इस विरोध की नब्ज टटोलने की कोशिश की ।

किसान खेत छोड़कर सड़क प्रदर्शन करने के लिए मजबूर हैं उसका कारण है नए कृषि कानून।  इन कानूनों की उपयोगिता बताते हुए सरकार का कहना है कि ये कानून किसानों की आय़ बढ़ाने में मदद करेंगे, पहले किसानों को कई प्रकार की दिक्कतों का सामना करना पड़ता था, लेकिन अब से ऐसा नहीं होगा।

देश भर के किसान संगठन, मंडी समितियों से जुड़े लोग इन कानूनों का विरोध कर रहे हैं, उनका मानना है कि इन कानूनों के जरिए सरकार खेती में निजी क्षेत्र को बढ़ावा दे रही है, जो किसानों की परेशानियों को और बढ़ाएगा। भूमिहीन किसान भैरव सिंह कहते है इस कानून का फाइदा उन्हे नहीं होगा। बल्कि बिजली पानी और खाद के दाम बढ्ने से खेती घाटे का सौदा होती जा रही है।

जबकि अपना अनाज मंडी बेचने पहुंचे किसान का कहना है, ये सही है बिचौलियों के चलते उन्हे उपज का सही  मूल्य नही मिल पाता है लेकिन किसानो जरूरत के समय जो मदद मिल जाती वो कोरपेरेट से नहीं मिलेगी। 

भारतीय लोक जन शक्ति पार्टी के अध्यक्ष मास्टर स्वराज कहते है कि किसान आतंकवादी नहीं है, वे अपने अधिकार की बात कर रहा है नहीं किसी बिल से किसानों को एक कौड़ी  का भी फायदा नहीं हुआ है।  ना धान का रेट मिला है ना मकई और बाजरे का रेट मिला है। यह कानून किसान विरोधी है जब किसानों के सभी संगठन इसका विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।  तो सरकार को किसानों से बातचीत करनी चाहिए और जब किसान इस कानून को नहीं चाहता तो, किसानों के लिए कानून क्यों थौपा जा रहा है। 

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