सऊदी अरब के 'कफाला सिस्टम' का अंत: एक ऐतिहासिक श्रमिक सुधार

सऊदी अरब के 'कफाला सिस्टम' का अंत: एक ऐतिहासिक श्रमिक सुधार
50 साल पुरानी 'आधुनिक गुलामी' खत्म, सऊदी अरब में विदेशी श्रमिकों को मिली 'जंजीरों से आजादी
विजन 2030 के तहत बड़ा कदम, लाखों भारतीय कामगारों के लिए बेहतर नौकरी और सम्मान का रास्ता खुला।
प्रकाश प्रभाव। हाल ही में सऊदी अरब ने अपने विवादास्पद कफाला सिस्टम को आधिकारिक तौर पर समाप्त कर दिया है। यह एक ऐतिहासिक बदलाव है जो पिछले 50 वर्षों से विदेशी श्रमिकों को उनके नियोक्ता (कफील) के अधीन रखता था। इस सिस्टम को जून 2025 में खत्म करने की घोषणा की गई थी, जिसके बाद अक्टूबर 2025 में इसकी आधिकारिक अधिसूचना जारी कर दी गई है। यह सुधार सऊदी अरब के विजन 2030 के तहत किए जा रहे व्यापक श्रम सुधारों का हिस्सा है, जिसका मुख्य उद्देश्य प्रवासी कामगारों के अधिकारों को मजबूत करना है।
कफाला सिस्टम क्या था और क्यों खत्म हुआ?
कफाला सिस्टम (अरबी में 'स्पॉन्सरशिप') खाड़ी देशों में विदेशी श्रमिकों के लिए एक ऐसा स्पॉन्सरशिप फ्रेमवर्क था, जिसमें उनका वीजा, निवास और नौकरी का अधिकार पूरी तरह उनके नियोक्ता पर निर्भर करता था। इस व्यवस्था ने नियोक्ता को कामगारों पर अत्यधिक नियंत्रण दिया हुआ था, जिस कारण कामगार बिना कफील की अनुमति के न तो नौकरी बदल सकते थे, न देश छोड़ सकते थे और न ही शोषण के खिलाफ शिकायत दर्ज करा सकते थे।
मानवाधिकार संगठनों ने इस सिस्टम को अक्सर 'आधुनिक गुलामी' का नाम दिया, क्योंकि यह शोषण, पासपोर्ट जब्ती, कम वेतन, लंबे काम के घंटे और दुर्व्यवहार का कारण बनता था। सऊदी अरब में करीब 1.34 करोड़ विदेशी श्रमिक इस सिस्टम के अधीन थे, जिनमें लाखों की संख्या में भारतीय भी शामिल हैं। यह सुधार अंतरराष्ट्रीय दबावों (जैसे फीफा वर्ल्ड कप 2022 के दौरान कतर पर पड़े दबाव) और क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के नेतृत्व में हो रहे देश के आधुनिकीकरण का सीधा परिणाम है।
नए कॉन्ट्रैक्ट-बेस्ड मॉडल की मुख्य बातें
पुराने कफाला सिस्टम की जगह अब कॉन्ट्रैक्ट-बेस्ड एम्प्लॉयमेंट मॉडल लागू हो गया है, जो प्रवासी श्रमिकों को पहले से कहीं अधिक अधिकार देता है।
मुख्य बदलाव:
नौकरी बदलने की आजादी: अब कामगार मौजूदा नियोक्ता की अनुमति के बिना भी नई नौकरी जॉइन कर सकते हैं। इसके लिए वे सरकारी पोर्टल के माध्यम से आवेदन कर सकते हैं।
व्यक्तिगत वीजा और अधिकार: कामगारों का वीजा अब उनके नियोक्ता पर निर्भर नहीं रहेगा, बल्कि यह व्यक्तिगत होगा। इससे उन्हें देश छोड़ने या वापस लौटने की आजादी मिलेगी।
श्रम संरक्षण: नए नियमों में न्यूनतम वेतन, सवैतनिक अवकाश (सालाना 1 महीना) और यात्रा खर्च नियोक्ता द्वारा वहन करने जैसे प्रावधान शामिल हैं। साथ ही, शोषण के खिलाफ शिकायत दर्ज करने के तंत्र को भी मजबूत किया गया है।
घरेलू कामगारों के लिए कानून: घरेलू कामगारों (जैसे नौकरानी) के लिए अलग नियम बनाए गए हैं, जिनमें अमानवीय स्थितियों पर विशेष रूप से रोक लगाई गई है।
ये बदलाव माइग्रेंट डोमेस्टिक वर्कर्स लॉ और वेज प्रोटेक्शन सिस्टम से भी जुड़े हैं, जिनके 2025 के अंत तक पूरी तरह लागू होने की उम्मीद है।
भारतीय कामगारों पर सीधा और सकारात्मक असर
सऊदी अरब में कंस्ट्रक्शन, घरेलू काम, ड्राइविंग और अन्य क्षेत्रों में कार्यरत लाखों भारतीय कामगार इस बदलाव से सीधे तौर पर लाभान्वित होंगे। अब वे शोषण से मुक्त होकर बेहतर वेतन और शर्तों वाली नौकरियां ढूंढ सकेंगे। उनका वेतन समय पर मिलने की संभावना बढ़ेगी और परिवार से संपर्क भी आसान होगा, क्योंकि उन्हें देश छोड़ने के लिए कफील पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा।
हालांकि, इन सुधारों के कार्यान्वयन की निगरानी अभी भी एक चुनौती बनी हुई है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि जमीनी स्तर पर श्रमिकों को उनके नए अधिकार मिल सकें। भारत सरकार ने भी अपने प्रवासी कामगारों के लिए हेल्पलाइन और सहायता तंत्र को मजबूत किया है। कुल मिलाकर, यह कदम प्रवासी श्रमिकों के लिए एक बड़ी राहत है और सऊदी अर्थव्यवस्था के लिए भी सकारात्मक है। यदि आप सऊदी में काम करने की योजना बना रहे हैं, तो भारतीय विदेश मंत्रालय की वेबसाइट पर नए नियमों की जाँच अवश्य करें।
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