करवा चौथ पर विशेष
- Posted By: Alopi Shankar
- खबरें हटके
- Updated: 4 November, 2020 20:29
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प्रकाश प्रभाव न्यूज़ प्रयागराज
संग्रहकर्ता - सुरेश चंद्र मिश्रा "पत्रकार"
।। करवा चौथ पर विशेष।।
आज देश के सनातनधर्मावलंबी परिवारों की देवियां अतीव श्रद्धा और अनुराग से करवा चौथ का व्रत कर रही हैं। अनादि काल से इस देश में इस व्रत की प्रथा निरंतर चल रही है ।अनेकों विदेशी आक्रांता आए अनेकों संस्कृतियों का घालमेल हुआ विज्ञान और आधुनिक विचार धारा ने मात्र शरीरवाद की उद्घोषणा किया लोक परलोक और ईश्वर वाद पर अनेकों कुठारघात हुए पर धन्य है आर्य जिजीविषा हमारी बहन बेटियों के तीजा छठ कजरी करवाचौथ आदि व्रत त्योहारों से किंचिन्मात्र भी कोई डिगा नहीं सका। यह व्रत पति के आरोग्य और दीर्घायु के लिए किया जाता है हमारे यहां स्त्री का मान सम्मान लोक परलोक सुख दुख सब पति से ही जुडा होता है। माता पिता भाई बहन पुत्र पुत्री जगत के समस्त नाते रिस्ते पति के बाद ही आते हैं। तीर्थ व्रत दान यज्ञ यागादि कर्म।। प्रादक्षिण्यम् पृथिव्याश्च ब्राह्मणातिथि सेवनम्। सर्वाणि पति सेवायाम् कलां नार्हन्तु षोडषीम्। ए सारे कर्म पति सेवा की सोलहवीं कला के समान नहीं हैं। पातिव्रत्य धर्म परायण स्त्री से नर नहीं नारायण तक डरते है ।सती वृंदा और तुलसी के साथ भगवान ने छल उनका व्रत डिगाने के लिए नहीं अपितु ए बताने के लिए किया था कि सती स्त्री से कपट करने पर मुझ नारायण को भी पाषाण के रूप में परिवर्तित होना पड़ा साधारण मानव की तो बात ही क्या। वनवास के पूर्व सती शिरोमणि भगवती जानकी ने कहा था कि जैसे सरोवर मे जल रहने पर सूर्यनारायण कमल को प्रफुल्लित करते हैं और जल सूखते ही कमल के परम हितैषी सूर्य उसे जलाकर भस्म कर देते हैं ठीक उसी प्रकार पति संसार सरोवर का जल है और पत्नी कमल जल समाप्त होते ही सारे नाते रिस्ते दाहक हो जाते हैं। स्त्री पति को जिस अधिकार से अपनी अभिलषित वस्तु की प्राप्ति के लिए आदेश दे सकती है कितना भी प्रिय क्यों न रहा हो पुत्र पर भी वह अधिकार नही व्यक्त कर सकती। व्यावहारिक जीवन में पति पत्नी लता और वृक्ष के समान हैं लता को आश्रय देकर वृक्ष यदि धरती से उठा कर अनंत उंचाई प्रदान करता है तो लता भी उस निरस ठूंठ वृक्ष को अपने स्नेह प्रेम समर्पण सेवा मृदुलता लावण्य के सुकोमल किसलयों से अमित सौंदर्य शाली बनाती है।पत्नी के साथ रहकर पति के गौरव में अभिवृद्धि होती है। जगत की धूप बारिश शीत आंधी तूफान दोनों साथ साथ सहते हैं एक दूसरे के सुख दुख मे सम्मिलित रहते हैं।अगर किसी गंवार माली के द्वारा स्वतंत्रता का लोभ दिखा कर दोनों को पृथक कर दिया जाएगा तो दोनों का जीवन अपूर्ण हो जाएगा। करवा चौथ इसी निस्वार्थ समर्पण का प्रतिबिंब है यदि पति भूखा प्यासा रह कर रात दिन कठिन परिश्रम द्वारा पत्नी परिवार को सुखी रखने में सुखानुभूति करता है तो पत्नी भी पति के अभ्युदय के लिए एक दिन का निर्जल निराहार व्रत तो क्या सारा जीवन हंसते हंसते समर्पित करने को तत्पर रहती है धन्य है भारतीय संस्कृति धन्य है आर्य नारी की तपश्चर्या। आज करवा चौथ के महान पर्व पर समस्त आर्य देवियों को बहुत-बहुत शुभकामना बधाई ।
अचल होइ अहिवात तुम्हारा।
जब लगि गंग जमुन जल धारा।।
।। जै जानकी जीवन।।
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