इस मौसम में वायरल फीवर के प्रकोप से बचने के लिए ऐसे करे गिलोय का इस्तेमाल - डॉ मुकेश चित्रवंशी

इस मौसम में वायरल फीवर के प्रकोप  से बचने के लिए ऐसे करे गिलोय का इस्तेमाल - डॉ मुकेश चित्रवंशी

वर्षा ऋतु के आगमन के साथ ही वायरल फीवर का प्रकोप शुरू हो जाता है। स्थिति तो ये है कि हर एक घर में सभी आयु वर्ग के लोग कहीं ना कहीं इसकी चपेट में आ रहे हैं।  इस फीवर के प्रकोप से बचने के लिए मेडिकल प्रैक्टिशनर्स के द्वारा प्रेसक्राइबड् मेडिसिंस के साथ ही साथ आयुर्वेद की कुछ मूलभूत औषधियों को भी अपने इस्तेमाल में लाना चाहिए । 


जिसमें सबसे प्रमुख है गिलोय जिसे अमृता भी कहा गया है। इतनी सामान्य औषधि है कि आपके घर के आसपास कहीं ना कहीं अवश्य लगी होगी।  इसकी पहचान पान के हरे पत्तों के आकार से लिपटी हुई लता बेल के रूप में आसानी से की जा सकती है। 


दिन में तीन बार अदरक तुलसी लौंग काली मिर्च जायफल जावित्री के साथ ही साथ गिलोय की बेल और कुछ पत्तों को भी कूट पीसकर उसका रस और सारे तत्वों को 1 लीटर पानी में उबले जब पानी आधा रह जाए तो गुड़ मिश्री अथवा शहद के साथ गरम चाय की तरह धीरे-धीरे सिप करते हुए पिएं।


साथ ही साथ दिन में तीन से चार बार दो चुटकी शीतो पलादि चूर्ण का भी सेवन करें। मात्र दो दिनों में ही सर्दी जुकाम खांसी, बुखार और जकड़न आदि से त्वरित राहत प्राप्त होगी।


गिलोय को आयुर्वेद के सभी महा ग्रंथों में अमृता कहा गया है,,, यानी के अमृत के समान जीवन दायिनी प्राण शक्ति से भरी हुई एक ऐसी महाऔषधि जो मनुष्य के शरीर के लगभग सभी सामान्य और महा रोगों की अभूतपूर्व चिकित्सा करने में सक्षम है।


3 वर्ष से कम आयु के बच्चों को दो-दो चम्मच दिन में तीन बार और 5 वर्ष से लेकर 15 वर्ष की आयु के बच्चों को आधा कप दिन में तीन बार अवश्य दें,,, एवं अन्य आयु वर्ग के सभी लोगों को एक-एक गिलास दिन में तीन बार सेवन करना चाहिए। 


लेख 

डॉ मुकेश चित्रवंशी। 


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