ग्यारह साल के बच्चे की शिकायत से खाद्य राशन विभाग की भ्रष्टाचार का खुला पोल — ₹5000 महीना फिक्स और ₹500 में बन रहे राशन कार्ड, पात्रों की फाइलें गायब

ग्यारह साल के बच्चे की शिकायत से खाद्य राशन विभाग की  भ्रष्टाचार का खुला पोल — ₹5000 महीना फिक्स और ₹500 में बन रहे राशन कार्ड, पात्रों की फाइलें गायब

लालगंज तहसील का खाद्य एवं रसद विभाग बना भ्रष्टाचार का केंद्र — सप्लाई इंस्पेक्टर बर्दी नाथ गुप्ता पर ₹5000 महीना और ₹500 प्रति कार्ड वसूली के आरोप; बाबू मनीष यादव और विवेक शुक्ला की ‘सेटिंग’ से मिनटों में बन रहे राशन कार्ड, पात्रों की फाइलें गायब — जनता और कोटेदारों में आक्रोश, विजिलेंस जांच की मांग तेज 

ब्यूरो रिपोर्ट 

मिर्जापुर, लालगंजमिर्जापुर की लालगंज तहसील का खाद्य एवं रसद विभाग इस समय भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों के घेरे में है। विभाग के सप्लाई इंस्पेक्टर बर्दी नाथ गुप्ता पर कोटेदारों और ग्रामीणों ने ₹5000 मासिक फिक्स वसूली और नए राशन कार्ड के लिए ₹500 रिश्वत लेने के आरोप लगाए हैं।

ग्रामीणों का कहना है कि विभाग में अब बिना “सेटिंग” और दलाली के कोई काम नहीं होता।

कोटेदारों से हर माह ₹5000 की फिक्स वसूली

स्थानीय सूत्रों का कहना है कि जब से सप्लाई इंस्पेक्टर बर्दी नाथ गुप्ता की तैनाती लालगंज में हुई है, तब से हर कोटेदार से ₹5000 महीना फिक्स तय कर लिया गया है।

जो कोटेदार यह रकम नहीं देते, उनके कोटे से जुड़ी फाइलों को रोक दिया जाता है या जांच के नाम पर उन्हें परेशान किया जाता है।

कोटेदारों ने बताया कि यह रकम हर महीने “ऊपर तक” पहुंचाई जाती है और इसका विरोध करने पर कार्रवाई की धमकी दी जाती है।

सत्यापन के बाद भी गायब हो रहे दस्तावेज़

आम जनता का आरोप है कि पात्र परिवार जब सभी दस्तावेज़ और पात्रता शर्तें पूरी कर लेते हैं, तब भी उनके राशन कार्ड आवेदन कार्यालय से गायब कर दिए जाते हैं।

लोगों का कहना है कि यह सब जानबूझकर किया जाता है ताकि दोबारा वही दस्तावेज़ मांगे जाएं और “सेटिंग” के नाम पर अवैध वसूली हो सके।

इस खेल में गरीब पात्र परिवार महीनों तक राशन कार्ड के लिए चक्कर काटते रहते हैं, जबकि पैसे देने वालों का काम तुरंत हो जाता है।

बाबुओं की ‘बाहरी सेटिंग’ से मिनटों में बन रहे राशन कार्ड 

विभाग में कार्यरत बाबू मनीष यादव और विवेक शुक्ला पर गंभीर आरोप लगे हैं कि वे बाहर के दलालों से मिलकर “सेटिंग” के जरिए मिनटों में राशन कार्ड बनवा देते हैं।

सूत्रों का कहना है कि जो आवेदक ₹500 या उससे अधिक खर्च करने को तैयार रहते हैं, उनका काम तुरंत हो जाता है, जबकि बाकी जनता महीनों तक अपने दस्तावेज़ के सत्यापन और स्वीकृति का इंतजार करती रहती है।

इस खुली धांधली ने विभाग की कार्यशैली और ईमानदारी पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है।

11 वर्षीय बच्चे की गलती से खुला विभागीय भ्रष्टाचार

इस भ्रष्टाचार की परतें तब खुलीं, जब सिकटा पंचायत के 11 वर्षीय बच्चे ने गलती से खाद्य एवं रसद विभाग के खिलाफ शिकायत दर्ज कर दी।

हालांकि यह शिकायत अनजाने में हुई थी, लेकिन जांच के दौरान सप्लाई इंस्पेक्टर बर्दी नाथ गुप्ता का कथित बयान —

 “हम तो चाहते थे कि कोई गलती से शिकायत करे, ताकि हमें भी कुछ पैसा मिल जाए,”

ने ग्रामीणों को झकझोर दिया। इस बयान के बाद ग्रामीणों ने खुलेआम भ्रष्टाचार का विरोध शुरू कर दिया।

जनता और कोटेदारों का खुला विरोध प्रदर्शन

इन सभी घटनाओं के बाद जनता और कोटेदारों ने लालगंज तहसील परिसर में जमकर विरोध प्रदर्शन किया।

प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि सप्लाई इंस्पेक्टर और उनके अधीन बाबुओं की मिलीभगत से पूरा विभाग भ्रष्टाचार की जाल में फंस चुका है।

उन्होंने प्रशासन से मांग की कि तत्काल जांच टीम गठित कर दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए और विभाग की कार्यप्रणाली में सुधार लाया जाए।

सरकार की मंशा पर भारी पड़ रहा भ्रष्टाचार

उत्तर प्रदेश सरकार गरीबों को पारदर्शी और ईमानदार तरीके से राशन उपलब्ध कराने के लिए लगातार प्रयासरत है।

लेकिन लालगंज तहसील का यह “भ्रष्ट नेटवर्क” सरकार की मंशा को ठेंगा दिखा रहा है।

ग्रामीणों का कहना है कि जब तक ऐसे अधिकारी और कर्मचारी पद पर बने रहेंगे, तब तक पारदर्शिता केवल कागजों में ही सीमित रहेगी।

लालगंज तहसील खाद्य राशन विभाग में जांच और कार्रवाई की मांग तेज

स्थानीय नागरिकों और कोटेदारों ने मांग की है कि सप्लाई इंस्पेक्टर बर्दी नाथ गुप्ता, बाबू मनीष यादव और विवेक शुक्ला पर तत्काल विजिलेंस जांच बैठाई जाए।

साथ ही पूरे विभाग के रिकॉर्ड और फाइलों की जांच की जाए ताकि यह पता चल सके कि कितने पात्र परिवारों के दस्तावेज़ गायब किए गए हैं और किन फाइलों पर “बाहरी सेटिंग” के जरिए कार्रवाई हुई है।

प्रशासन मौन, जनता में बढ़ता आक्रोश

भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों के बावजूद प्रशासन की ओर से अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है।

इससे ग्रामीणों में गहरा असंतोष है। उनका कहना है कि यदि जल्द ही जांच नहीं की गई, तो वे तहसील मुख्यालय पर अनिश्चितकालीन धरना-प्रदर्शन करने को मजबूर होंगे।

ग्रामीणों की मांग: विजिलेंस जांच और दोषियों की गिरफ्तारी

ग्रामीणों ने स्पष्ट कहा है कि अब केवल जांच नहीं, बल्कि कार्रवाई और गिरफ्तारी ही जनता को संतोष दे सकती है।

उन्होंने कहा कि यदि कुछ ही दिनों में जांच शुरू नहीं हुई तो यह मामला जिला स्तर से लेकर मुख्यमंत्री कार्यालय तक ले जाया जाएगा।

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