बगैर सूचना के डेढ़ साल तक गायब रहा शिक्षक, भेजी गयीं नोटिस का नहीं दिया जवाब
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- Updated: 9 August, 2021 09:24
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prakash prabhaw
फतेहपुर।
भ्रष्ट शिक्षा तन्त्र की अजब कहानी...
बगैर सूचना के डेढ़ साल तक गायब रहा शिक्षक, भेजी गयीं नोटिस का नहीं दिया जवाब
फिर भी बीएसए ने कर डाली नए सिरे से पुनः नियुक्ति
प्रा0वि0 सरवल के सहा0 अध्यापक आनन्द प्रकाश का प्रकरण फिर चर्चा में
शासन से बीएसए, लेखाधिकारी, एबीएसए व एक पटल सहायक की भूमिका की जाँच की मांग
(कमलेन्द्र सिंह)
सरकार प्राथमिक शिक्षा व्यवस्था को दुरुस्त करने के बाबत जितने भी जतन कर ले किंतु सिस्टम से खिलवाड़ करने वाले रास्ता निकाल ही लेते हैं। बड़ी बात यह है कि इस मद में जिम्मेदारों के कृत्य बिल्कुल पार्टी बनकर अंजाम दिए जाते रहे हैं। असोथर विकास खण्ड के प्राथमिक विद्यालय सरवल के सहायक अध्यापक आनन्द प्रकाश के मामले में शासनादेश को आधार बनाकर नए सिरे से पुनर्नियुक्ति में शिक्षा विभाग के जिम्मेंदार फसते नजर आ रहे हैं।
सूत्रों की मानें तो आनन्द प्रकाश की नियुक्ति 2018 में सहायक अध्यापक के पद हुईं थी। उन्हें असोथर विकास खण्ड के प्राथमिक विद्यालय सरवल में तैनाती भी दे दी गई। लगभग 17 माह की नौकरी करने के बाद 26 जून 2019 को बगैर किसी सूचना के वह गायब हो गए। लगभग सवा साल तक विभाग ने गायब शिक्षक की कोई सुध नहीं ली। शिक्षा के मामले में जब शासन की तल्खी बढ़ी तो तत्कालीन खण्ड शिक्षा अधिकारी ने आनन फानन में 07 सितम्बर 2020 को नोटिस भेजकर स्पष्टीकरण मांगा और इसकी एक प्रति बीएसए को भी भेजी गई।
बताते हैं कि बीएसए ने 13 अक्टूबर 2020 को गायब सहा0 अध्यापक को नोटिस भेजी किन्तु कोई जवाब नहीं दिया गया। 22 अक्टूबर 2020 को तत्कालीन जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी शिवेन्द्र प्रताप सिंह ने पुनः नोटिस भेजकर सेवा समाप्ति की कार्यवाही करने की चेतावनी दी। इसके बाद भी आनन्द प्रकाश ने जवाब देना मुनासिब नहीं समझा।
सूत्रों की मानें तो लगभग डेढ़साल बाद विगत दिसंबर माह के अंत में आनन्द प्रकाश, असोथर ब्लाॅक के मौजूदा खण्ड शिक्षा अधिकारी देवेन्द्र वर्मा के समक्ष पहुंचे और एक शासनादेश के आधार पर पुनः नियुक्ति का दावा ठोंक दिया और फिर अत्यंत संदिग्ध परिस्थितियों में विगत जनवरी में आनन्द प्रकाश को बगैर पूर्व में दी गयीं नोटिस के स्पष्टीकरण का कोई जवाब लिए मूल पद पर पुनः नियुक्ति दे दी गई।
विभाग ने न सिर्फ उनकी घोर अनुशासन हीनता को दरकिनार किया बल्कि पूर्व की नियुक्ति प्रकरण में संदिग्ध भूमिका का निर्वाहन करते हुए पटाक्षेप भी कर दिया। आनन्द प्रकाश मौजूदा समय में पूरे रूआब के साथ प्रा0वि0 सरवल में बतौर सहायक अध्यापक की नौकरी कर रहे हैं। इस सन्दर्भ में खण्ड शिक्षा अधिकारी देवेन्द्र वर्मा का कहना है कि आनन्द प्रकाश की पुलिस विभाग में नियुक्ति हो जानें पर उनके अनुरोध पर उन्हें रिलीव कर दिया गया था और शासनादेश के तहत नए सिरे से पुनः नियुक्ति की गई है। अब सवाल यह उठता है कि अगर आनन्द प्रकाश रिलीव होकर गए थे तो फिर तत्कालीन खण्ड शिक्षा अधिकारी के पत्र के आधार पर तत्कालीन बीएसए द्वारा कई बार नोटिस भेजकर सेवा समाप्ति की चेतावनी क्यों दी जाती रही।
खबर है कि आनन्द प्रकाश के मामले की मूल पत्रावली भी खण्ड शिक्षा अधिकारी कार्यालय से गायब है और एबीएसए एवं बीएसए द्वारा पूर्व में जारी की गयी नोटिसे भी गायब कर दी गईं हैं। इस मामले में शासन को भेजे गए एक शिकायती पत्र में पूरे मामले खासकर तत्कालीन बीएसए, लेखाधिकारी, पूर्व व मौजूदा खण्ड शिक्षा अधिकारी एवं बीएसए कार्यालय के लिपिक श्याम नारायण तिवारी की भूमिका को खास तौर पर आरोपित करते हुए जांच कराने की मांग की गई है। शिकायतकर्ता ने इस मामले को भ्रष्ट तन्त्र की अजब कहानी की संज्ञा दी है तथा दावा किया है कि अगर शासन प्रकरण की सलीके से जांच कराएं तो कई और मामलो पर से भी पर्दा उठ सकता है।
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