ऐसी सड़को पर क्या किसी बीमार को इलाज के लिए ले जा सकते है

ऐसी सड़को पर क्या किसी बीमार को इलाज के लिए ले जा सकते है

prakash prabhaw 

ऐसी सड़को पर क्या किसी बीमार को इलाज के लिए ले जा सकते है 

(कमलेन्द्र सिंह)


असोथर/फतेहपुर

केंद्र व प्रदेश सरकारे भले ही विकास की गंगा बहाए जाने व गाँवो को भी शहरों की तर्ज पर विकास की मुख्य धारा से जोड़ने का दम्भ भरती रही हों। किंतु हकीकत तो कुछ और ही बयां कर रही है।

आखिर ऐसा कौन सा अधिकारी है जो भा०ज०पा० सरकार के अच्छे मंसूबो पर पानी फेरना चाहता है।  उत्तर प्रदेश के मुखिया योगी आदित्यनाथ उत्तर प्रदेश को उत्तम प्रदेश बनाने में लगे हुए है वही ऐसी सड़कें उनके मंसूबो पर पानी फेरती नज़र आ रही है।  

सच्चाई के आईने में देखने से पता चलता है। कि जनपद के बहुत से गाँव आज भी विकास से कोसों दूर हैं। जहाँ आवागमन के लिये पक्की सड़क की जगह ऊबड़ खाबड़ व दलदल युक्त रास्ते हैं। जिनमें पैदल भी आवागम करना दुश्वारियां भरा है। बाइक साइकिल व चौपहिया वाहनों से तो दूर की कौड़ी। 


जहाँ के बाशिंदों को इन दलदल युक्त सड़को में आवागमन के दौरान जहाँ भारी मुसीबतों का सामना करना पड़ता है। वहीं सबसे अधिक मुसीबतों का सामना किसी गम्भीर रूप से बीमार मरीज को अस्पताल तक पहुँचाने में करना पड़ता है।

ऐसा ही एक मामला असोथर थाना क्षेत्र के सरकंडी मजरे बब्बू का डेरा गाँव का प्रकाश में आया जहाँ संकरे व दलदल युक्त ऊबड़ खाबड़ रास्ते मे एम्बुलेंस ना पहुंचने की वजह से गाँव निवासी एक बुजुर्ग महिला शिवकली जिसको गिरने की वजह से गम्भीर चोटे आई थीं। इलाज के लिये अस्पताल तक ले जाने में स्वजनों को खासी मशक्कत करनी पड़ी।

जिनके स्वजनों ने महिला मरीज की चारपाई कई किलोमीटर तक अपने कंधे में रखकर उसको अस्पताल तक पहुंचाया। जिसका वीडियो भी शोषल मीडिया में वायरल हुआ। जो कि केंद्र व प्रदेश सरकार के चुने हुए प्रतिनिधियों द्वारा हर चुनावी या अन्य जन सभाओं ने चौमुखी विकास के दावों की पोल खोलने का पर्याप्त सबूत है। क्यों कि क्षेत्रीय ग्रामीणों की माने तो उनकी इन मुसीबतों की असली वजह क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों की उदाशीनता है।

हलांकि इस सम्बंध में जब उपजिलाधिकारी सदर प्रमोद झाँ से बात की गई तो उन्होंने मामला संज्ञान में ना होने व शीघ्र ही सम्बन्धित विभागीय अधिकारियों को निर्देशित कर उपरोक्त कच्चे मार्ग का डामरीकरण व चौड़ीकरण करवाए जाने की बात कही।

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