फूट-फूट कर रो पड़ा रिटायर्ड पुलिस का बेटा, इंजेक्शन नहीं मिला तो मेरे पिता मर जाएगे
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- Updated: 26 April, 2021 10:43
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नोएडा
Report- Vikram Pandey
फूट-फूट कर रो पड़ा रिटायर्ड पुलिस का बेटा, इंजेक्शन नहीं मिला तो मेरे पिता मर जाएगे
उत्तर प्रदेश का हाईटेक सिटी नोएडा के स्वास्थ्य विभाग की अव्यवस्था की कोरोना के दूसरी वेब ने पोल-खोल कर रख दी है। कोरोना संकट के बीच आक्सीजन की कमी, और भर्ती मरीज की हालत गंभीर होने पर भी परिवार वालों को रेमडेसिविर इंजेक्शन का इंतजाम करने के लिए कहा जा रहा है। लेकिन परिवार वाले जब रेमडेसिविर के लिए सीएमओ कार्यालय पहुँचते वहाँ भी निराशा ही मिल रही है। जबकि ब्लैक मार्केट में रेमडेसिविर इंजेक्शन 20 हज़ार से 40 हज़ार के बीच उपलब्ध है।
सीएमओ कार्यालय पर फूट-फूट कर रो रहा शख्स धर्मेद्र सिंह भदौरिया है जो एक कोरोना संक्रिमत रिटायर्ड पुलिस इंस्पेक्टर महेंद्र सिंह भदौरिया का बेटा है, उसका कहना है की सारी जिंदगी पुलिस में रहकर देश की सेवा में बिता दी और आज इंजेक्शन की व्यवस्था करने में असमर्थ हो रहे है। दरअसल उत्तरप्रदेश पुलिस से रिटायर्ड इंस्पेक्टर महेंद्र सिंह भदौरिया कोरोना से संक्रिमत है और नोएडा के सेक्टर 39 स्तिथ कोविड अस्पताल में भर्ती हैं, महेंद्र की स्थिति नाजूक बनी हुई है, जिस कारण डॉक्टरों का कहना है कि उन्हें रेमडेसिविर इंजेक्शन की जरूरत है। उनके पास समय कम है अगर रेमडेसिविर का डोज नहीं दिया गया तो महेंद्र भदौरिया की जान जा सकती है। धर्मेद्र रेमडेसिविर इंजेक्शन के लिए ठोकर खा रहा है, बेटे का रो-रो कर बुरा हाल है लेकिन उसकी सुनने वाला कोई नहीं है।
वहीं सेक्टर 39 के सीएमओ कार्यालय रेमडेसिविर इंजेक्शन के लिए प्रवीण कुमार भी पहुंचे है उनका कहना है कि उनके पिता बीमार है और वे इंजेक्शन लेने आए है डॉक्टर के प्रीक्रिप्शन और मरीज के आईडी होने के बाद भी रेमडेसिविर नही दे रहे है । जबकि इंजेक्शन उपलब्ध है। उनका कहना है कि वे बाज़ार 30-40 हज़ार का इंजेक्शन नहीं खरीद सकते है। वे कहते है कि सीएमओ से लेकर और कई अधिकारियों को फोन कर लिया लेकिन कोई फोन नही उठा रहा है।
गाजियाबाद से पहुचे अन्य शख्स का कहना है उन्हे पता चल कि यहाँ पर रेमडेसिविर इंजेक्शन मिल रहे है कि बीते कई घण्टे से वहाँ रेमडेसिविर के लिए खड़े है, लेकिन उनसे कहा गया कि चुकी वे गाजियाबाद के रहने वाले है इसलिए रेमडेसिविर इंजेक्शन उन्हे नहीं दिया जा सकता है।
मरीज के परिजनो का कहना है कि जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग जब अस्पताल को कोविड अस्पताल बना रहे हैं तो अस्पतालों को खुद दवा उपलब्ध कराने की भी जिम्मेदारी ले । इसकी निगरानी रखें। मरीज अस्पताल में अकेले है और वह इंजेक्शन के लिए भटक रहे हैं।
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