हम नहीं मना सकते ईद का त्यौहार , जब दुनिया में मची है हाहाकार के साथ चीख पुकार

हम नहीं मना सकते ईद का त्यौहार , जब दुनिया में मची है हाहाकार के साथ चीख पुकार

PPN NEWS

हम नहीं मना सकते ईद का त्यौहार , जब दुनिया में मची है हाहाकार के साथ चीख पुकार


इस कोरोना काल मे छलका दर्द


सिंवाई लच्छा कारीगरों की पूरे साल की खत्म हुई कमाई से मौजूदा हालात से हुए परेशान


अबूशहमा


 बहराइच फखरपुर क्षेत्र में इस बार ईद की तैयारियां हर तरफ अधूरी दिख रही है ना बाजारों में रौनक ना ओ चहल-पहल देखने को मिल रही। इस वर्ष भी पिछले वर्ष की तरह इस बार भी इस क्रोना महामारी के काल में वही आलम है।सफीक खान, रिज़वान,इकबाल,सलमान, सलीम आदि बताते है।

आखिर हम अपनी खुशियां कैसे मना सकते हैं जब पूरी दुनिया गम के चादर में लिपटी हुई नजर आ रही है। ऐसे में बच्चों को समझाना बहुत ही मुश्किल है कि इस वर्ष हम अपने बच्चों को नए कपड़े चप्पल खिलौने आदि कैसे दें लेकिन बच्चे हैं जो मानने को तैयार नहीं उन्हें समझाना बहुत ही मुश्किल है लेकिन हम सब तो समझदार हैं और दुनिया की हालत को समझ सकते हैं जो गम दुनिया में है वह हम सब का गम है हम सबके तकलीफों में बराबर शामिल हैं जब हमारा देश इस विषम परिस्थिति से गुजर रहा है तो हम अपने मुल्क में रहते हैं और इस मुल्क में जब लोग परेशान हैं तो उनकी परेशानियों पर हम ईद की खुशियां नहीं मना सकते और हम सब इस दुख की घड़ी में साथ हैं और हम लोग ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि जल्द ही इस मुसीबत से सबको निजात मिले और वह खुशियां वह चहल हमारे मुल्क में वापस आए वजीरगंज बाजार में बहुत ही दूर दराज से लोग खरीददारी के लिए आते थे यहां पर सीवाई लक्ष्ए बनाए जाते थे और काफी दूर तक यहां के लक्ष्य सीवाई की मार्केटिंग की जाती थी इस बार मार्केट के अंदर एक भी दुकान लक्ष्य की नहीं दिखाई पड़ती है क्योंकि यह सभी जानते हैं कि इस वक्त हमें इन हालातों से कैसे लड़ना है।

यहां के मशहूर हलवाई बब्बन सिद्दीकी, कासीम पिंटू ,जाहिद, नफीस आदि लक्षा सिवाईबनाते और होल सेल में सप्लाई करते थे।

उन लोगों ने इस बार उतनी मात्रा में नहीं बनाया है अगर बात करें लेडीज सूट विक्रेताओं से तो कपड़ा व्यापारि सबीहा क्लॉथ हाउस , बॉम्बे कलेक्शन,सूरत ड्रेसमटेरियाल पोरवाल कलेक्शन ने बताया की हम लोग इस मार्केट से बहुत ही अच्छी खासी बिक्री करते थे।

नानपारा,जरवल,महसी,फखरपुर समेत दूर दराज से ग्रहक आते थे खरीदे गए माल गोदामों में पड़े है।जिसका घाटा कब पूरा होगा ऊपर वाला ही जाने इस बार सारे अरमान धरे के धरे रह गए।


गरीबो के लिए बढ़ी मुसीबत


रोज मजदूरी करने वाले सलाहू, चौधरी, हसीब,बदलू, आदि कुछ लोग ऐसे भी हैं जो होटलों पर काम किया करते थे । आज सभी होटल बंद है और ऐसे में उनके घर का गुजारा भी बड़ी मुश्किल से होता है और बहुत ही परेशानी के हालात से गुजर रहे हैं।

ऐसे परिवार वाले लोगों से जब ईद के बारे में बात की गई तो उनका जवाब था कि साहब एक वक्त खाते हैं उसी में जीवन बिताते हैं खाने के लिए तो कुछ है नहीं बच्चों के लिए क्या खरीदेंगे बस अल्लाह से यही दुआ करेंगे कि इस बीमारी को जल्द से जल्द दुनिया से खात्मा कर दें ताकि हम लोग अपने काम धंधे पर निकल सके।

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