पब्लिक अब वैक्सीन के लिए बेताब है लेकिन सरकार उन्हें वैक्सीन के सपने बेच रही है -लोकदल

पब्लिक अब वैक्सीन के लिए बेताब है लेकिन सरकार उन्हें वैक्सीन के सपने बेच रही है -लोकदल

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लखनऊ।  

पब्लिक अब वैक्सीन के लिए बेताब है लेकिन सरकार उन्हें वैक्सीन के सपने बेच रही है -लोकदल


एक बार फिर से प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से लोकदल के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुनील सिंह  ने वैक्सीन के मामले में सरकार को घेरा है। सुनील सिंह ने बोला कि ये किस तरह की रणनीति है? या अपने ही लोगों के साथ झूठ की राजनीति है? खाली आशा है ,भरोसा कुछ नहीं. जिम्मेदार कौन है?

139 करोड़ की आबादी वाले देश की सरकार सिर्फ 3.5 फीसदी लोगों के लिए वैक्सीन का इंतजाम करके क्यों रुकी हुई है. उसे किस बात का इंतजार है? हम सेकंड वेव के भयंकर चपेट में हैं. लोग बिना इलाज मर रहे हैं. आगे की आबादी को वैक्सीनेट करने का क्या प्लान है? कहां है वो प्लान?

सरकार की नाकामियां और अव्यवस्था ने ही कोरोना महामारी को नरसंहार का रूप दिया है। सरकार के पास करने और कहने को कुछ नहीं है। शायद इसलिए सरकार केवल जनता को मुद्दों से भटकाने के बहाने खोज रही है।

आम आदमी बिन ऑक्सीजन, बिन बेड तड़प रहा है. अस्पतालों के अंदर और बाहर दम तोड़ रहा है. इधर वैक्सीन के लिए कतार लगी है उधर श्मशानों के बाहर कतार है. ये हालत तब है जब हमारे पास पैसे की किल्लत नहीं है. 

केंद्र विदेशों से टीके खरीदने के लिए पर्याप्त प्रयास नहीं कर रहा है. केंद्र ने विश्व स्तर पर उपलब्ध टीकों को मंजूरी नहीं दी है. केंद्र टीकों के घरेलू उत्पादन को बढ़ाने के लिए पर्याप्त प्रयास नहीं कर रहा है. केंद्र को अनिवार्य लाइसेंसिंग लागू करनी चाहिए।  

केंद्र ने राज्यों पर अपनी जिम्मेदारी को छोड़ दिया है. केंद्र राज्यों को पर्याप्त वैक्सीन नहीं दे रहा है.  केंद्र बच्चों के टीकाकरण के लिए कोई कदम नहीं उठा रहा है. सरकार वैक्सीन का नहीं, सपनों का रजिस्ट्रेशन करा रही है?

मई को जब 18+ के लिए भी वैक्सीनेशन के दरवाजे खोले गए तो सिर्फ इसी दिन सवा करोड़ के करीब लोगों ने रजिस्ट्रेशन कराया था. यानी  स्कूल, दफ्तर में वैक्सीनेशन सेंटर खोले जा रहे हैं. मुफ्त बांटने के ऐलान हो रहे हैं. वैक्सीन घर जाकर देंगे, ऐसा कहा जा रहा है. सच्चाई ये है कि नए लोगों को बहुत कम संख्या में वैक्सीन मिलनी है. 

श्री सुनील सिंह ने कहा है कि कोरोना के ड्रैक्यूला से एक ही चीज बचा सकती है वैक्सीन. लेकिन वहां हालत और भी हताशा भरी है. लग रहा है कि देश की ज्यादातर आबादी को सरकार ने फेल कर दिया है. वैक्सीन पर सरकार का गड़बड़ गणित को ऊपर दिए हुए प्रश्न ही बता सकते  हैं।

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