वसीम रिजवी पर ईनाम घोषित करना सही है ?

वसीम रिजवी पर ईनाम घोषित करना सही है ?

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मोहम्मद जाहिद अख़्तर

वरिष्ठ पत्रकार


कुरान पर वसीम का हमला, साबित होगी ताबूत में आखिरी कील

लखनऊ। अपने अनर्गल बयानों से हमेशा विवादों में रहने वाले शिया वक्फ बोर्ड के पूर्व चेयरमैन वसीम रिजवी एक बार फिर से अब तक के सबसे बड़े विवाद में फंस चुके हैं। दरअसल वसीम रिजवी ने देश की सर्वोच्च न्यायालय में कुरान की 26 आयतों का जिक्र करते हुए एक पेटिशन दाखिल किया है। पेटिशन दाखिल कर वसीम रिजवी ने मांग की है कि कुरान की इन 26 आयतों को हटा दिया जाए क्योंकि इन्हीं 26 आयतों के कारण पूरे विश्व में इस्लामिक आतंकवाद फैलता जा रहा है। बता दें कि हमारे देश के संविधान की धारा 19(2) तथा धारा 19(1ए) में साफ तौर पर उल्लेख किया गया है कि देश के हर नागरिक(पुरूष/स्त्री) को अभिव्यक्ति की आजादी है। बशर्ते उसकी अभिव्यक्ति से देश की सुरक्षा, संप्रभुता तथा अखंडता को कोई नुकसान न पहुंचे। हमारे देश के संविधान की यही खूबसूरती है जिसके तहत हम देश के शीर्ष नेतृत्व से भी सवाल कर सकते हैं उसके खिलाफ प्रदर्शन भी कर सकते हैं।

संविधान की इसी धारा का लाभ लेते हुए वसीम रिजवी ने देश की सर्वोच्च अदालत में कुरान की 26 आयतों के खिलाफ पेटिशन दाखिल किया है। अपने पेटिशन में वसीम ने इस्लाम के तीन खलीफा हजरत अबू बकर(रजि.), हजरत उस्मान (रजि.) तथा हजरत उमर (रजि.) को कटघरे में खड़ा करते हुए उल्लेखित किया है कि पैगंबर मोहम्मद(स.) के इस दुनिया से जाने के बाद इन्होंने अपनी सुविधानुसार कुछ आयतें कुरान में अलग से डाली हैं जो जिहाद को बढ़ावा देतीं हैं यानी एक प्रकार से आतंकवाद को बढ़ावा देने वाली आयतें हैं।

यहां मैं बता देना जरूरी समझता हूं कि न तो मैं कानूनविद हूं और न ही कोई आलिम। मैं अपने इस लेख में जो कुछ भी लिखने जा रहा हूं उसका ताल्लुक केवल उस व्यक्ति से है जिसका नाम वसीम रिजवी है और जिसके कारण आज देश और दुनिया में वाबेला मचा हुआ है। जैसा कि हम सभी जानते हैं कि वसीम रिजवी नाम का यह जिन्न पूर्व की समाजवादी पार्टी सरकार के सबसे कद्दावर नेता का ही पैदा किया हुआ है। विवादों में रहना इस व्यक्ति का एक प्रकार से पेशा बन चुका है। सबसे पहले यह व्यक्ति उस समय विवादों में आया जब इसे शिया वक्फ बोर्ड के चेयरमैन के पद से हटाया गया था। किसी प्रकार से कानूनी दांव-पेंच और तत्कालीन सपा के मंत्री तथा कद्दावर नेता के संरक्षण में इसकी ताकत बढ़ती ही चली गई।

शिया धर्मगुरू मौलाना कल्बे जव्वाद नकवी से इस व्यक्ति का टकराव जग जाहिर है। वर्ष 2014 में केंद्र में मोदी सरकार के आते ही वसीम रिजवी के तेवर बदलने लगे। इन्हें ऐसा प्रतीत होने लगा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश के ही नहीं बल्कि इस धरती के सबसे ताकतवर व्यक्ति हैं। यही कारण है कि इस व्यक्ति ने मौका मिलते ही मोदी मंत्र का जाप करना शुरू कर दिया। जाहिर है एक विशेष विचारधारा को सहयोग करने के लिए एक विशेष धर्म को तथा उसके मानने वालों पर उंगली तो उठाना ही था लिहाजा वर्ष 2019 में इन्होंने प्रधानमंत्री मोदी की ताकत को भांपते हुए उन्हें एक पत्र लिखा जिसमें इनके द्वारा देश के सभी मदरसों को तत्काल प्रभाव से बंद करने की मांग की गई।

कारण यह बताया कि मदरसों में आतंकवाद का पाठ पढ़ाया जाता है। हालांकि सच्चर कमेटी की रिपोर्ट में इस बात को दावा किया गया है कि भारत में मुसलमानों की कुल आबादी में से मात्र 4 प्रतिशत बच्चे ही मदरसों में पढऩे जाते हैं। वहीं वर्तमान भाजपा सरकार के गृह राज्यमंत्री का 8 मार्च 2020 को एक बयान आया है जो अपने आप में इस बात को नल एंड वायड करार देता है कि मदरसों से आतंकवाद को बढ़ावा मिलता है। उन्होंने कहा है कि 'टेरिरिज्म इज़ नॉट होम ग्रोन एक्टिवटीÓ। यानी आतंकवाद आंतरिक पैदावार नहीं हैं। वर्ष 2019 में इन्होंने एक वीडियो जारी कर कहा था कि यदि मोदी जी देश के पीएम नहीं बन सके तो मैं अयोध्या में भगवान श्री राम के मंदिर के सामने आत्महत्या कर लूंगा। यह बात और है कि वसीम रिजवी के सपने में स्वयं भगवान श्री राम रोते हुए उनसे राममंदिर निर्माण की गुहार लगा चुके हैं। वर्ष 2019 में अखिल भारतीय कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा के खिलाफ भी एक अभद्र टिप्पणी की थी जिसकी सुनवाई कोर्ट में अभी भी चल रही है।

अक्टूबर वर्ष 2019 की हम बात करें तो उप्र. के सीएम योगी आदित्यनाथ ने कथित तौर पर शिया वक्फ बोर्ड में हुई धांधली को लेकर सीबीआई से वसीम रिजवी के खिलाफ केस फाइल करने के लिए पत्र लिखा था, जिसके बाद नवंबर 2020 में सीबीआई ने शिया वक्फ बोर्ड के चेयरमैन रहते हुए वक्फ संपत्तियों को गैर कानूनी तरीके से खरीद-फरोख्त की चर्जाशीट फाइल कर जांच शुरू कर दिया था। हालांकि जांच अभी भी जारी है।

पीआईएल यानी पब्लिक इंटरेस्ट लीटिगेशन के तहत न्यायालय पेटिशनकर्ता के ट्रैक रिकार्ड को भी देखती है, जिसमें वसीम रिजवी की छवि साफ-सुथरी नहीं है। वह यह भी देखती है कि कहीं इससे देश की आंतरिक सुरक्षा, संप्रभुता एवं अखंडता को नुकसान तो नहीं हो रहा है अथवा संविधान की धारा 25 का उल्लंघन तो नहीं हो रहा। ऐसे कई पहलू होंगे जिसका अध्यन करने के बाद ही सर्वोच्च न्यायालय पेटिशनकर्ता की याचिका पर गौर करेगी। अगर अब तक की सारी विवादों पर गौर करें तो वसीम रिजवी की इस पेटिशन पर कोई विश्वसनीयता नजर नहीं आ रही है। इससे एक बात तो साफ है कि मुसलमानों की धार्मिक पुस्तक कुरान की 26 आयतों को कुरान से निकाले जाने को लेकर वसीम रिजवी द्वारा दायर की गई याचिका उसके ताबूत की आखिरी कील साबित होगी।

वसीम रिजवी पर ईनाम घोषित करना सही है?

शिया वक्फ बोर्ड के तत्कालीन चेयरमैन वसीम रिजवी द्वारा दायर की गई याचिका के बाद भारत में ही नहीं बल्कि दुनिया भर के मुसलमानों में काफी रोष व्याप्त है। सोशल मीडिया में वसीम रिजवी को काफी ट्रोल किया जा रहा है और भद्दी-भद्दी गालियां भी दी जा रही हैं। कुछ लोग तो वसीम रिजवी का सोशल बायकॉट करने की बात कर रहे हैं। हालांकि शिया धर्मगुरूओं ने वसीम रिजवी को शिया धर्म से खारिज करने की बात कही है। एक संगठन ने तो उसके सिर कलम करने की रकम तक तय कर दी है। यह बात कहां तक जायज है इस पर टिप्पणी करना उचित नहीं होगा लेकिन यदि इसके एक सकारात्मक पहलू पर हम गौर करें तो हम देखते हैं कि न सिर्फ शिया-सुन्नी एक मंच पर एक ताकत बन कर उभरे हैं बल्कि कई उदारवादी हिंदू संगठन भी इसका पुरजोर विरोध करते हुए वसीम रिजवी को ही कोसते नजर आ रहे हैं। यह समय है जब हमें संयम से काम लेना होगा। सब्र और संयम ही उस व्यक्ति के पराजय का कारण बनेगी।

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